1. बल्कि कर्म वस्तु रूप में संसार में अलग से उपलब्ध रहता है. 2. आमतौर पर कीड़ों को मनुष्य के लिए हानिकारक वस्तु रूप में देखा जाता है. 3. संचित, मूर्त श्रम है, वस्तु रूप में मूल्य है, लेकिन वह खुद स्थिर पूंजी के रूप 4. कीड़े और बिच्छू आमतौर पर कीड़ों को मनुष्य के लिए हानिकारक वस्तु रूप में देखा जाता है। 5. मोंचेक का मानना है काम-व्यापार सिर्फ स्त्री को वस्तु रूप में देखना ही नहीं है। 6. सब कुछ नष्ट हो जाय, व्यर्थ हो जाय पर जो भाव रूप तथा वस्तु रूप में बचा रहे, वही रस है। 7. वस्तु-स्त्री से ऑर्गेज्म नहीं पाया जा सकता, भले ही वह वस्तु रूप में किसी पिता द्वारा दान में मिली हो। 8. सब कुछ नष्ट हो जाय, व्यर्थ हो जाय पर जो भाव रूप तथा वस्तु रूप में बचा रहे, वही रस है। 9. बलात्कार में एकमात्र हथियार जो मायने रखता है, लिंग है, जिसकी धारणा अत्यंत विध्वंसक वस्तु रूप में की गई है। 10. सब कुछ नष्ट हो जाय, व्यर्थ हो जाय पर जो भाव रूप तथा वस्तु रूप में बचा रहे, वही रस है।